Ratan Tata Biography in Hindi । रतन टाटा की जीवनी
अंग्रेजी मै एक कहावत है “Success is the Best Revenge” मतलब सफलता सबसे अच्छा बदला है । आज हम बात करने वाले है Tata Group के Chairman रतन टाटा (Ratan Tata) के जीवन एक ऐसा पढ़ाव बताने वाले है जिससे अपनी सफलता से अपने अपमान का बदला लिया ।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई मै हुआ था । ये Tata Group के founder जमशेद टाटा के पोते है । १९९१ मै उन्हें Tata Group का चेयरमैन बना दिया गया । उसके बाद रतन टाटा के देखरेख मै ही Tata Consultancy Service की शुरवात हुई । उसके बाद उन्होंने टाटा चाय ,टाटा मोटर ,टाटा स्टील जैसी कंपनी को शिखर पर पोहुंचाया । भारत सरकार ने रतन टाटा को दो बार पद्म विभुषण द्वारा सन्मानित किया ये सन्मान देश के तीसरे और दूसरे सर्वोच्च का सन्मान है । टाटा का बिज़नेस १०० देशो मैं फैला हुआ है और उनकी कंपनी मैं करीब 6. 5 लक्ष लोग काम करते है । दोस्तों सबसे बड़ी बात टाटा ग्रुप की ये है की वो अपने फायदे का 66 % चैरिटी मै दान देते है ।
रतन टाटा ने अपने अपमान का जवाब अपनी सफलता से दिया था । बात उस समय की है जब Tata Group ने 1998 मै Tata Indica कार बज़ार मै निकाली थी । रतन टाटा का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था इसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थी लेकिन Indica car को market मै response अच्छा नहीं मिला जिसके कारण कुछ सालो बाद Tata motors घाटे मै जाने लगी थी । Tata motors के साज़िदारो ने रतन टाटा को कार व्यापार मै हुई नुकसान की पुर्ति के लिये कंपनी को बेचने का सुझाव दिया और न चाहते हुए भी रतन टाटा को अपने दिल पर पत्थर रख कर ये काम करना पड रहा था ।
Tata motors के साज़िदारो के साथ अपनी कंपनी बेचने का प्रस्ताव Ford कंपनी के पास ले गये । जिसका Headquater अमेरिका मै है । Ford कंपनी के साथ रतन टाटा और उनके पार्टनर की मीटिंग करीब 3 घंटे तक चली । Ford के चेयरमैन Bill Ford ने रतन टाटा के साथ बहुत बतसुलुखी से व्यवहार कीया और बातो ही बातो मै यह कह दिया जब तुम्हे इस बिज़नेस के बारे मै कोई जानकारी नहीं है तो फिर तुमने इस कार को लॉन्च करने मै इतना पैसा क्यों लगाया । हम तुम्हारी कंपनी को खरीदकर बस तुम पर एहसान कर रहे है । यह बात रतन टाटा को दिल पर लग गयी । वह रातोरात अपने पार्टनर के साथ डील को छोड़कर वापस चले आये । Bill Ford की उन्ही बातो को रतन टाटा भूला नहीं पा रहे थे वह उनकी दिमाग मै बार बार आ जा रही थी ।
उसके बाद रतन टाटा ने अपनी कंपनी किसी को भी न बेचने का निर्णय किया उन्होंने अपनी पूरी जी जान लगा दी और देखते ही देखते टाटा की Car की बिज़नेस एक अच्छी खासी लय मैं आने लगा जिससे उन्हें बहुत फायदा हुआ । वही दूसरी तरफ Ford कंपनी loss मै जा रही थी और सन 2008 के अंत तक दिवाली होने की कगार पर थी । उस समय रतन टाटा ने ford कंपनी के सामने उनकी luxury कार Jaguar Land Rover और Land Rover के खरीदने का प्रस्ताव रखा और बदले मै ford को अच्छा खासा दाम देने को कहा जो की Bill Ford पहले से ही Jaguar और Land Rover की वजह से घाटा झेल रहे थे उन्होंने ये प्रस्ताव ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया ।
Bill Ford बिलकुल उसी तरह अपने साझेदारो के साथ टाटा समहू के मुख्यालय पर पहुंचे । जैसे कभी रतन टाटा Bill Ford से मिलने उनके मुख्यालय गए थे । मीटिंग मै यह तय हुआ की Jaguar और Land Rover brand $2.3 billion मै टाटा समूह के अधीन होगा इस बार भी Bill Ford ने वही बात दोहराई जो उन्होंने मीटिंग मै रतन टाटा से कही थी बस इस बार बात थोड़ी पॉजिटिव थी । Bill Ford ने कहा की आप हमारी कंपनी खरीद कर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे है । आज Jaguar और Land Rover टाटा समूह का हिस्सा है और बज़ार मै बेहतर मुनाफे के साथ आगे बढ़ रहा । रतन टाटा अगर चाहते तो Bill Ford को उसी meeting मै करारा जवाब दे सकते थे लेकिन रतन टाटा अपने सफलता के नशे मै चूर नहीं थे । यही वो गुन है जो एक सफल और महान इंसान के बीच का अंतर दर्शाता है ।
जब व्यक्ति अपमानित होता है तो उसका परिणाम क्रोध होता है लेकिन महान लोग अपने क्रोध का उपयोग अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए करते है।
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